बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में देवशक्ति नामक राजा शासन करता था। उसके पुत्र के पेट में एक सांप ने अपना बसेरा जमा लिया था। सांप की उपस्थिति के कारण राजकुमार दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था। राजा ने कई प्रसिद्ध वैद्यों से राजकुमार का इलाज कराया, लेकिन स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। इस स्थिति से परेशान होकर राजकुमार एक दिन अपने राज्य से दूर दूसरे राज्य में चला गया और एक मंदिर में भिखारी की तरह रहने लगा।
राजकुमार जिस राज्य में गया था, वहां बलि नामक राजा राज करता था। राजा की दो जवान बेटियां थीं। दोनों बेटियां रोज सुबह अपने पिता का आशीर्वाद लेने जाती थीं। एक सुबह, एक बेटी ने राजा को प्रणाम करते हुए कहा, “महाराज की जय हो, आपकी कृपा से ही संसार में सब सुखी हैं।” दूसरी बेटी ने कहा, “महाराज, ईश्वर आपको आपके कर्मों का फल दे।” यह सुनकर राजा क्रोधित हो गया और अपने मंत्रियों को आदेश दिया कि “जो बेटी कठोर शब्द बोल रही है, उसकी शादी किसी गरीब लड़के के साथ कर दो, ताकि वह अपने कर्मों का फल चख सके।”
राजा के आदेश के अनुसार मंत्री मंदिर के पास बैठे भिखारी से उसकी शादी कर देते हैं। भिखारी वही राजकुमार था, जिसके पेट में सांप था। राजकुमारी उसे अपना पति मानकर उसकी सेवा करने लगी। कुछ दिन बाद, दोनों मंदिर छोड़कर दूसरे देश की यात्रा पर निकल पड़े, क्योंकि उन्होंने मंदिर में रहना सही नहीं समझा।
सफर के दौरान राजकुमार थक कर एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगा। राजकुमारी पास के गांव से भोजन लाने के लिए चली गई। जब वह वापस आई, तो उसने देखा कि राजकुमार के मुंह से एक सांप निकल रहा है। पास के बिल से भी एक सांप बाहर आया और दोनों सांप बातें करने लगे, जो राजकुमारी ने छिपकर सुन लिया।
एक सांप ने कहा, “तुम इस राजकुमार के पेट में रहकर उसे क्यों तकलीफ दे रहे हो? तुम अपने जीवन को भी खतरे में डाल रहे हो। अगर किसी ने राजकुमार को जीरा और सरसों का सूप पिला दिया, तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।” इसके जवाब में, राजकुमार के मुंह से निकला सांप बोला, “तुम इस बिल में रखे सोने के घड़ों की रक्षा क्यों कर रहे हो? अगर किसी को इन घड़ों के बारे में पता चल गया, तो वह बिल में गर्म पानी या गर्म तेल डालकर तुम्हारी जान ले लेगा।”
थोड़ी देर बाद दोनों सांप अपनी-अपनी जगह वापस चले गए, लेकिन राजकुमारी ने उनके रहस्यों को समझ लिया। उसने पहले राजकुमार को भोजन के साथ जीरा और सरसों का सूप पिला दिया। कुछ समय बाद, राजकुमार ठीक होने लगा। फिर उसने बिल में गर्म पानी और तेल डाल दिया, जिससे दूसरे सांप की मृत्यु हो गई। इसके बाद, बिल से सोने से भरे घड़े बाहर निकालकर, दोनों अपने शहर लौट आए। राजा देवशक्ति ने अपने बेटे और बहु का धूमधाम से स्वागत किया।
कहानी से सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि जो किसी का बुरा सोचता है, उसका बुरा होना तय है। सांप ने राजकुमार का बुरा सोचा, और अंततः उसका अपना बुरा हुआ।