एक घना जंगल था, जहां एक खतरनाक शेर रहता था। उसके साथ तीन सेवक रहते थे—कौआ, सियार और चीता। शेर जब भी शिकार करता, तो वह अपना पेट भरने के बाद बचा हुआ मांस इन तीनों को खाने देता। इसी व्यवस्था से वे तीनों अपना गुजारा करते थे।
एक दिन जंगल में एक ऊंट आ गया, जो अपने काफिले से बिछड़ गया था। शेर ने पहले कभी ऊंट नहीं देखा था, इसलिए उसने कौए से पूछा कि यह कौन सा जानवर है। कौए ने बताया, "महाराज, यह ऊंट है और यह जंगल का जानवर नहीं है, शायद गांव से भटक कर यहां आ गया है। आप इसे मारकर खा सकते हैं।" चीता और सियार ने भी इस बात का समर्थन किया।
लेकिन शेर ने कहा, "यह हमारा मेहमान है। मैं इसका शिकार नहीं करूंगा।" शेर ने ऊंट से उसकी कहानी सुनी और उसे जंगल में रहने का प्रस्ताव दिया, जिसे ऊंट ने स्वीकार कर लिया। वह जंगल में घास और पत्तियां खाकर जल्द ही तंदुरुस्त हो गया।
कुछ समय बाद, शेर की एक जंगली हाथी से लड़ाई हो गई, जिसमें शेर बुरी तरह घायल हो गया। वह शिकार करने लायक नहीं रहा, और धीरे-धीरे उसकी हालत खराब होने लगी। शेर के साथ उसके सेवक भी भूखे रहने लगे क्योंकि शिकार न होने से भोजन की कमी हो गई थी।
कई दिनों तक भोजन न मिलने पर सियार ने शेर से कहा, "महाराज, अगर आप शिकार नहीं करेंगे तो हम सब कमजोर हो जाएंगे।" शेर ने उत्तर दिया, "मैं अब शिकार के लायक नहीं रहा। अगर तुम किसी जानवर को मेरे पास लाओ, तो मैं उसका शिकार कर सकता हूं।"
सियार ने सुझाव दिया, "महाराज, ऊंट को मारकर हम सबका पेट भर सकता है।" शेर को गुस्सा आया और उसने कहा, "मैं अपने मेहमान का शिकार नहीं करूंगा।"
सियार ने चालाकी से कहा, "अगर ऊंट खुद को आपके सामने समर्पित कर दे, तो?" शेर ने सोचा और कहा, "अगर वह खुद आकर समर्पित करेगा, तो मैं उसे खा सकता हूं।"
इसके बाद सियार, चीता और कौए ने मिलकर एक योजना बनाई। वे ऊंट के पास गए और बोले, "महाराज बहुत कमजोर हो गए हैं। अगर वे हमें खाना चाहें, तो मैं खुद को उनके सामने समर्पित कर दूंगा।" बाकी जानवरों ने भी अपनी जान देने की बात कही।
सियार, कौआ और चीता शेर के पास गए और खुद को समर्पित करने की बात की। शेर ने कौए और चीते को छोटा और महत्वपूर्ण कहकर खारिज कर दिया। अंत में ऊंट ने सोचा कि शेर उसे भी नहीं मारेगा, क्योंकि वह उसका मेहमान है। ऊंट ने भी अपनी जान देने की पेशकश कर दी।
जैसे ही ऊंट ने यह कहा, शेर, चीता और सियार उस पर झपट पड़े और उसे मारकर खा लिया।
**कहानी से सीख:**
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी की मीठी बातों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए, खासकर जब वे हमें नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहे हों। चालाक और स्वार्थी लोगों से हमेशा सावधान रहना चाहिए।