बहुत समय पहले की बात है। दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली राजा का राज था। उसके शाही बिस्तर में एक जूं, जिसका नाम मंदरीसर्पिणी था, लंबे समय से रह रही थी। जूं बहुत चालाक थी और इस बात का ख्याल रखती थी कि राजा को उसकी मौजूदगी का कभी पता न चले। हर रात जब राजा गहरी नींद में होता, जूं धीरे-से बाहर आती, उसका खून चूसती और फिर वापस छिप जाती।
एक दिन, बिस्तर में अचानक अग्निमुख नाम का एक खटमल आ धमका। जब जूं ने उसे देखा, तो उसे गुस्सा आ गया। वह खटमल के पास गई और डांटते हुए बोली, “यह मेरा इलाका है! तुम यहां क्यों आए हो? तुरंत चले जाओ!”
खटमल ने हाथ जोड़कर कहा, “जूं बहन, मैं बहुत दूर से आया हूं और बेहद थका हुआ हूं। मैं केवल एक रात रुकने की अनुमति चाहता हूं। कृपया मुझे अपना मेहमान बनने दो।” खटमल की विनम्रता ने जूं को पिघला दिया, और उसने उसे रुकने की इजाजत दे दी। लेकिन जूं ने सख्त हिदायत दी, “सुनो, तुम्हें राजा को कोई तकलीफ नहीं पहुंचानी चाहिए। राजा के गहरी नींद में जाने से पहले तुम उसे काटोगे नहीं।”
खटमल ने सिर हिलाते हुए वादा किया, “जूं बहन, चिंता मत करो। मैं आपकी बात मानूंगा। लेकिन कृपया मुझे राजा का खून चखने का मौका जरूर दीजिए। आखिर राजा के खून जैसा स्वादिष्ट कुछ नहीं हो सकता।” जूं उसकी बात मान गई।
रात हुई। राजा अपने बिस्तर पर सोने आया। जैसे ही वह लेटा, खटमल के सब्र का बांध टूट गया। उसने जूं की चेतावनी की अनदेखी की और तुरंत राजा की मोटी तोंद पर काट लिया। खटमल का तेज़ डंक राजा के लिए असहनीय था। राजा दर्द के मारे जोर से चिल्लाया और तुरंत अपने सिपाहियों को बुलाया।
राजा ने आदेश दिया, “इस बिस्तर में कुछ गड़बड़ है। इसे तुरंत जांचो और जो भी कीड़ा मिले, उसे खत्म कर दो।” सिपाही आए और बिस्तर को खंगालने लगे। थोड़ी देर में उन्हें जूं मिल गई, जो खटमल की वजह से फंस गई थी। उन्होंने जूं को पकड़कर मार डाला।
खटमल, जो पहले ही भागकर बिस्तर के नीचे छिप गया था, बच निकला।
कहानी से सीख:
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि बिना सोचे-समझे किसी अजनबी पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। गलत संगत या निर्णय के परिणाम दूसरों को भी भुगतने पड़ सकते हैं।