पंचतंत्र की कहानी -मछलियों और मेंढक की बुद्धिमानी

AuthorSmita Mahto last updated Aug 4, 2024
Story of Panchtantra for kids

एक बार की बात है, एक तालाब में दो मछलियाँ और एक मेंढक साथ रहते थे। मछलियों का नाम शतबुद्धि और सहस्त्रबुद्धि था, जबकि मेंढक का नाम एकबुद्धि था। मछलियाँ अपनी बुद्धि पर गर्व करती थीं, लेकिन मेंढक कभी भी अपनी बुद्धि पर घमंड नहीं करता था। फिर भी, तीनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त थे और तालाब में हमेशा साथ रहते थे।

जब भी कोई समस्या आती, तो तीनों मिलकर उसका समाधान निकालते थे। एक दिन, मछुआरे तालाब के पास से गुजर रहे थे और उन्होंने देखा कि तालाब मछलियों से भरा हुआ है। मछुआरे बोले, "हम कल सुबह यहाँ आएंगे और बहुत सारी मछलियाँ पकड़ लेंगे।"

मेंढक ने मछुआरों की बात सुन ली और तुरंत अपने दोस्तों के पास गया। उसने शतबुद्धि और सहस्त्रबुद्धि को मछुआरों की योजना के बारे में बताया और सलाह दी कि उन्हें बचने के लिए कुछ करना चाहिए। लेकिन मछलियाँ गर्व से बोलीं, "हम अपने पूर्वजों की जगह नहीं छोड़ सकते। हमारे पास इतनी बुद्धि है कि हम अपना बचाव कर सकती हैं।"

मेंढक ने कहा, "मैं एक तालाब के बारे में जानता हूँ जो यहाँ से जुड़ा हुआ है। अगर आप मेरे साथ चलें, तो हम सुरक्षित रह सकते हैं।" लेकिन मछलियाँ अपनी बुद्धि पर इतना गर्व करती थीं कि उन्होंने मेंढक की सलाह नहीं मानी। वे विश्वास करती थीं कि वे खुद को बचा लेंगी।

मेंढक ने अकेले ही अपने परिवार के साथ दूसरे तालाब की ओर रवाना हो गया। जब मछुआरे सुबह पहुंचे, तो उन्होंने जाल डाल दिया और तालाब के सभी जीव अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। लेकिन मछुआरों के पास बड़ा जाल था, जिससे कोई भी जीव बच नहीं सका। शतबुद्धि और सहस्त्रबुद्धि ने बहुत कोशिश की, लेकिन वे भी पकड़े गए।

मछुआरे शतबुद्धि और सहस्त्रबुद्धि को कंधे पर उठाकर चलने लगे और बाकी मछलियों को एक टोकरी में डाल लिया। जब वे दूसरे तालाब के पास पहुंचे, तो एकबुद्धि मेंढक ने अपनी दोस्त मछलियों की यह हालत देखी और दुखी हुआ। उसने अपनी पत्नी से कहा, "काश, इन दोनों ने मेरी सलाह मान ली होती, तो आज ये जीवित होते।"

कहानी से सीख: इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि कभी भी अपनी बुद्धि पर घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड एक दिन हमें भारी पड़ सकता है।