एक दिन बादशाह अकबर के दरबार में एक व्यक्ति नौकरी की मांग करने आया। अकबर ने उसकी बुद्धि और बातचीत को परखने के बाद उसे चुंगी अधिकारी, यानि कि टैक्स कलेक्टर का पद दे दिया। बीरबल ने उसे ध्यान से देखा और बादशाह को चेतावनी दी कि वह व्यक्ति बेहद चालाक और संभवतः बेईमान लगता है।
कुछ समय बाद, वह व्यक्ति पूरी तरह से टैक्स वसूलने की जिम्मेदारी संभाल चुका था। शुरू में कुछ मामूली शिकायतें आईं, लेकिन जल्द ही उस पर रिश्वतखोरी और जनता को परेशान करने के आरोप लगने लगे। इन शिकायतों के आधार पर, अकबर ने उसे एक कम महत्वपूर्ण काम देने का फैसला किया और उसे अस्तबल का मुंशी बना दिया। वहां भी उसने अपनी बेईमानी जारी रखी और घोड़ों की देखभाल करने वालों से रिश्वत लेने लगा।
अंततः, बादशाह ने उसे यमुना नदी के किनारे लहरें गिनने का काम सौंप दिया। लेकिन वहां भी उसने अपनी चालाकी दिखाई और नाविकों से रिश्वत लेकर उन्हें यमुना से गुजरने देने लगा। जब यह बात अकबर तक पहुंची, तो उन्होंने उसे एक साफ संदेश भेजा जिसे उसने बदल दिया और अपनी बेईमानी जारी रखी। आखिरकार, बादशाह ने उसे नौकरी से निकाल दिया और बीरबल की चेतावनी को याद करते हुए महसूस किया कि उसे पहली बार में ही सख्त दंड देना चाहिए था।
सीख यह है कि बेईमान व्यक्ति अपनी बेईमानी की प्रवृत्ति को कहीं भी और किसी भी स्थिति में नहीं छोड़ता।