एक दिन, अकबर और बीरबल एक विषय पर बातचीत कर रहे थे। अचानक, अकबर ने कहा, "बीरबल, दुनिया में हर 100 आदमी के पीछे एक अंधा होता है।" बीरबल इस बात पर असहमत थे और कहा, "महाराज, मुझे लगता है कि आपका अनुमान गलत है। वास्तव में, दुनिया में देखने वालों की संख्या अंधों से कहीं अधिक होती है।"
अकबर बीरबल के जवाब से हैरान हो गए और उन्होंने कहा, "जब हम आसपास देखते हैं, तो देखने वालों की संख्या हमेशा अंधों से अधिक होती है। तो अंधों की संख्या देखने वालों के मुकाबले अधिक कैसे हो सकती है?"
बीरबल ने कहा, "महाराज, मैं इस बात को प्रमाणित कर सकता हूँ कि दुनिया में अंधों की संख्या देखने वालों से अधिक है।"
अकबर ने कहा, "ठीक है, अगर तुम प्रमाण के साथ इसे साबित कर पाओगे, तो मैं भी इसे स्वीकार करूँगा।"
बीरबल ने अपनी योजना के तहत दो मुनीमों को साथ लेकर बाजार की ओर रवाना किया। वहां पहुंचकर उन्होंने चारपाई बुनने का काम शुरू किया। उन्होंने दोनों मुनीमों को आदेश दिया कि वे दाईं और बाईं कुर्सियों पर बैठें और एक सूची तैयार करें। दाईं बैठे मुनीम अंधों की सूची बनाएँगे और बाईं बैठे मुनीम देखने वालों की सूची।
बीरबल ने अपने दाहिने मुनीम को इशारा करके कहा कि वह आते ही व्यक्तियों के नामों को अंधों की सूची में डालें। और बाईं बैठे मुनीम को इशारा करके कहा कि वह जो लोग पूछें कि "तुम क्या कर रहे हो?", उनके नाम देखने वालों की सूची में डालें।
धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी और लोग बीरबल से इस बारे में पूछने लगे कि वह क्या कर रहे हैं। बीरबल ने किसी को जवाब नहीं दिया और अपने दाएं बैठे मुनीम को इशारा किया कि वह उनके नाम लिखें। इसी तरह वह लोगों के नामों को दोनों सूचियों में डालते रहे।
इसी बीच राजा अकबर को इस बारे में पता चलता है और वह भी बाजार में पहुंचते हैं। वह देखते हैं कि बीरबल च
ारपाई बुन रहे हैं। उन्होंने बीरबल से पूछा, "बीरबल, तुम यह क्या कर रहे हो?"
बीरबल ने अपने दाएं मुनीम को इशारा करके कहा, "इस आदमी का नाम अंधों की सूची में डालो।"
राजा अकबर ने कहा, "बीरबल, मेरी आंखें ठीक हैं। मैं खुद सब कुछ देख सकता हूँ। तो तुम मेरा नाम अंधों की सूची में क्यों डाल रहे हो?"
बीरबल ने हँसते हुए कहा, "महाराज, मैंने कहा था कि देखने वालों की संख्या अंधों से अधिक है। आप भी इसे समझ सकते हैं, जब आप मेरे बुनते हुए चारपाई को देख रहे हैं, फिर भी तुम पूछते हो कि मैं क्या कर रहा हूँ। यह सवाल तो एक अंधा ही पूछ सकता है।"
राजा अकबर ने बीरबल की युक्ति को समझा और कहा, "बीरबल, तुम्हारा यह प्रयास सचमुच अद्भुत है।"