बादशाह अकबर का शौक था शिकार करने का, और वह अक्सर अपने सैन्य दल के साथ जंगलों में इस खोज में निकल जाया करते थे। एक दिन की बात है, जब वे शिकार के लिए गए और इतने मग्न हो गए कि उनका दल उनसे बिछड़ गया। उस समय केवल कुछ सैनिक ही उनके साथ थे। शाम ढलने को थी, सूरज का उजाला कम हो रहा था, और ठंडी हवाओं के साथ उनकी भूख भी बढ़ने लगी थी।
दूर-दूर तक चलने के बाद अकबर और उनके साथी समझ गए कि वे रास्ता भूल गए हैं। आसपास कोई भी नहीं था, जिससे वे रास्ता पूछ सकें। कुछ समय बाद, उन्हें एक तिराहा नजर आया जहाँ तीन रास्ते मिल रहे थे। अकबर को खुशी हुई कि कम से कम उन्हें रास्ते तो दिखाई दे रहे थे, परंतु समस्या यह थी कि कौन सा रास्ता उन्हें उनकी राजधानी आगरा ले जाएगा।
इसी उलझन में वे खड़े थे कि उनकी नजरें एक छोटे लड़के पर पड़ीं, जो सड़क किनारे खड़ा उन्हें और उनके सैनिकों को उत्सुकतापूर्वक देख रहा था। सैनिकों ने लड़के को बादशाह के पास ले आया।
अकबर ने लड़के से पूछा, “बेटे, इन तीनों में से कौन सा रास्ता हमें आगरा तक ले जाएगा?” लड़के ने सुनकर जोर से हंसना शुरू कर दिया, जिससे अकबर थोड़े विचलित हो गए। हालांकि, उन्होंने शांति से लड़के से उसकी हंसी का कारण पूछा। लड़के ने जवाब दिया, “रास्ता तो खुद से चल नहीं सकता, आपको खुद ही चलना होगा ताकि आगरा पहुँच सकें।”
अकबर इस साधारण लेकिन गहरी बात से प्रभावित हुए। उन्होंने लड़के का नाम पूछा जिस पर लड़के ने अपना नाम महेश दास बताया। अकबर ने उसे सोने की अंगूठी इनाम में दी और दरबार में आने का न्योता दिया। उसके बाद, लड़के ने बड़ी विनम्रता से उन्हें सही रास्ता दिखाया, और अकबर अपने सैनिकों के साथ उस दिशा में चल पड़े।
यही लड़का बड़ा होकर बीरबल के नाम से प्रसिद्ध हुआ और अकबर के नवरत्न में से एक बन गया।
कहानी से सीख :
यह कहानी हमें बताती है कि हमें ज्ञान और बुद्धिमत्ता की कद्र करनी चाहिए।