कृष्ण (कृष्ण या हरि कृष्ण) एक प्रमुख हिंदू देवता हैं और विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। वह हिंदू पौराणिक कथाओं के सभी नायकों में लोकप्रिय हैं। कृष्ण के कारनामों को महाभारत, भगवद गीता, हरिवंश और पुराणों के ग्रंथों के पवित्र संग्रह के रूप में जाना जाता है, जहां कृष्ण को ब्रह्मांड का सर्वोच्च प्राणी और निर्माता के रूप में वर्णित किया गया है।
कृष्ण को प्रेम का भी प्रतीक माना जाता है। बृंदाबन, बरसाना में श्री कृष्ण, राधा एवं गोपियों के संग रासलीला बहुत प्रसिद्ध है।
कृष्ण की सबसे प्राचीन कथाओं में पांडव राजकुमारों के साथ उनके कारनामों को बाद में शामिल किया गया है, सदियों से संचित कहानियां जो उनके घटनापूर्ण युवाओं का वर्णन करती हैं, जब कृष्ण ने अपने शत्रुओं और राक्षसों को हराने के लिए अपने कुशल निति एवं हथियार कौशल का उपयोग किया।
श्री कृष्ण जी की चालीसा यहाँ पे पढ़ सकते है।
♦Shree Krishna Chalisa in Hindi♦
♦दोहा♦
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुणअधरजनु बिम्बफल, नयनकमलअभिराम॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥
♦चौपाई♦
जय यदुनंदन जय जगवंदन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नट-नागर, नाग नथइया।
कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥
वंशी मधुर अधर धरि टेरौ।
होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
राजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥
कुंडल श्रवण, पीत पट आछे।
कटि किंकिणी काछनी काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥